UP Flood News: बाढ़ से उफान पर सरयू, राप्ती, शारदा, गर्रा नदियां, सैंकड़ों गांव प्रभावित, शहर में घरों के अंदर तक घुसा पानी
बाढ़ से शाहजहांपुर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और सीतापुर के लोग सहमे हुए हैं।
लखनऊ। (UP Flood News) उत्तर प्रदेश में कई नदियां बाढ़ से प्रभावित हैं। राजधानी लखनऊ के आसपास के जिलों से गुजरने वाली नदियों का जल स्तर खतने के निशान से ऊपर है। सरयू, राप्ती, गर्रा आदि नदियों में जल उफान पर है। नेपाल की नदियों में आई बाढ़ का असर नेपाल से सटे जिलों पर पड़ रहा है। मुख्यमंत्री की तरफ से अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं। (UP Flood News)
अवध के आठ जिलों में बाढ़ से मची तबाही के बाद स्थिति अब धीरे-धीरे सुधरनी शुरू हुई है। जल स्तर कम हो रहा है। अब असल समस्या कटान की है। इससे बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और सीतापुर के लोग सहमे हुए हैं।
(UP Flood News) कटान से नदी में समा गया 15 बीघा खेत
अंबेडकरनगर में शुक्रवार को सरयू की बाढ़ में कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं हैं। माझा-कम्हरिया में तेजी से हो रहे कटान में 15 बीघा खेत नदी में समा गया। सरयू के जल स्तर में बृहस्पतिवार की तुलना में शुक्रवार को मामूली कमी जरूर हुई, लेकिन माझा क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। माझा क्षेत्र के हंसू का पूरा, करिया लोनिया का पूरा व सिद्धनाथ के निकट तक बाढ़ का पानी बना हुआ है।
बहराइच में सरयू का जलस्तर घटा है, लेकिन एल्गिन ब्रिज पर नदी अब भी खतरे के निशान से पांच सेंटीमीटर ऊपर ही बह रही है। अलबत्ता बाढ़ से परेशान स्थानीय लोगों को कुछ राहत जरूर मिली। सरयू का जल स्तर कम होने से गांवों से पानी तो निकल गया, लेकिन धान की फसल नष्ट हो गई है। जिलाधिकारी मोनिका रानी बताया कि सरयू का जलस्तर घटने लगा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन की टीमें लगातार सक्रिय हैं। प्रभावित इलाकों के लोगों की जरूरत के मुताबिक मदद की जा रही है। वहीं, श्रावस्ती में राप्ती फिर लाल निशान के पार पहुंच गई है। इससे कछारवासी दहशत में हैं। कटान भी तेज हुई है।
नेपाल के कुसुम बैराज से 47,682 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जमुनहा बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 से बढ़ कर 127.90 मीटर पहुंच गया जो खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर अधिक है। इससे जमुनहा के ककरदरी गांव की तरफ नदी ने तेजी से कटान शुरू कर दी है। अयोध्या में सरयू का जल स्तर 22 सेमी घटा है। इसके बाद भी नदी लाल निशान से 10 सेमी ऊपर बह रही है। इससे सदर तहसील के 10 से अधिक गांव कटान की जद में आ गए हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में संक्रामक बीमारियां भी फैलने लगी हैं। पिपरी संग्राम गांव जाने वाले मार्ग पर पानी भरा हुआ है। लोग जान जोखिम में डालकर सोहवल से गोंडा तक आवागमन कर रहे हैं। इस सब के बीच जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद ने बाढ़ राहत केंद्र राजा दशरथ समाधि स्थल पूरा बाजार पहुंचकर निरीक्षण किया। बाढ़ पीड़ितों को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी ली।
सीतापुर के रतनगंज में कटान पीड़ितों ने शुक्रवार को प्रदर्शन शुरू कर दिया। तंबौर-काशीपुर मार्ग जाम कर किया। मामला बढ़ता देख तहसीलदार व पुलिस मौके पर पहुंची। बाढ़ प्रभावितों ने आवास दिलाने संग अन्य मदद की मांग रखी। अफसर काफी देर तक मान-मनौवल करते रहे। करीब दो घंटे बाद तहसीलदार ने मदद का आश्वासन देकर सभी को शांत कराया। इस बीच मार्ग पर लंबा जाम लग गया। यहां नदी की कटान में 34 घर बह चुके हैं।
अंबेडकरनगर माझा कम्हरिया में कटान, नदी में समाया 15 बीघा खेत
सरयू नदी की बाढ़ में कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की पांच सीढ़ियां जलमग्न हो गईं। इसके साथ ही माझा कम्हरिया में तेजी से हो रहे कटान में लगभग 15 बीघा खेत नदी में समा गया। इस बीच बाढ़ प्रभावित क्षेत्र माझा कम्हरिया व अराजी देवारा के दर्शननगर चौक में स्वास्थ्य शिविर को सक्रिय कर दिया गया है। सरयू नदी के जलस्तर में शुक्रवार को मामूली कमीं जरूर हुई लेकिन इसके बाद भी माझा क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हुईं। सरयू नदी के कम्हरिया घाट स्थित धर्मशाला की पांच सीढ़ियां शुक्रवार सुबह पूरी तरह से डूब गईं। माना जा रहा है कि यदि जलस्तर में वृद्धि होती है तो पानी धर्मशाला के अंदर प्रवेश कर जाएगा। विगत वर्ष भी सरयू नदी में आई बाढ़ से धर्मशाला के अंदर पानी पहुंच गया था।
इसके साथ ही माझा कम्हरिया में कटान शुरू हो गया। शुक्रवार सुबह तक आठ किसानों का लगभग 15 बीघा खेत नदी में समा गया। इससे प्रभावित किसान माझा कम्हरिया के पतिराम यादव, जंगबहादुर निषाद, लल्लन, लालचंद्र, राजमणि, मन्नू, परमात्मा व राघवेंद्र को बड़ी आर्थिक चपत लगी। माझा क्षेत्र के किसानों का मानना है कि यदि इसी प्रकार से कटान का दौर जारी रहा तो किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है।
उधर माझा कम्हरिया व अराजी देवारा में भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अराजी देवारा संपर्क मार्ग पर शुक्रवार को भी नाव का संचालन जारी रहा। इसके अलावा माझा क्षेत्र के हंसू का पूरा, करिया लोनिया का पूरा व सिद्धनाथ के निकट तक बाढ़ का पानी बना हुआ है। इससे संबंधित क्षेत्र के ग्रामीणों में अभी भी चिंता व्याप्त है।
स्वास्थ्य टीम ने की जांच
बाढ़ के बीच संचारी रोगों के बढ़ने की आशंका की देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। माझा कम्हरिया व अराजी देवारा के दर्शननगर चौक में स्वास्थ्य शिविर स्थापित कर संचालन प्रारंभ कर दिया गया। शुक्रवार को स्वास्थ्य टीम ने ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया। इसके साथ ही संबंधित क्षेत्र के लोगों को संचारी रोगों के प्रति जागरूक किया। कहा कि जागरूकता के आधार पर संचारी रोगों के फैलने पर अंकुश लगाया जा सकता है।
नई पुलिया का होगा निर्माण
शुक्रवार को एडीएम डॉ. सदानंद गुप्त व एसडीएम आलापुर सदानंद सरोज ने खंड विकास अधिकारी अनिल कुशवाहा के साथ माझा कम्हरिया व अराजी देवारा पहुंचकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया। अराजी देवारा में जिस रास्ते पर पानी बह रहा है और कच्चा मार्ग कट गया है वहां पर नई पुलिया निर्माण का आश्वासन एडीएम ने दिया है। एडीएम ने ग्राम प्रधान को निर्देशित किया कि वे इस संबंध में पत्र भी लिखें। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संतोष कुमार की शिकायत पर एडीएम ने आश्वस्त किया कि जिन ग्रामीणों का राशनकार्ड नहीं बना है, उनका प्राथमिकता के आधार पर बनवाया जाएगा।
अयोध्या में टापू बन गए 13 गांव, आवागमन के लिए लगाई नाव
सरयू में उफान जारी है। जलस्तर खतरे के निशान से 32 सेमी ऊपर पहुंच गया है। पूरा बाजार के 12 व सोहावल तहसील का एक गांव टापू बन गया है। गांव के रास्तों पर पानी भर गया है। आवागमन के लिए यहां नावें लगाई गई हैं। 24 घंटे तटबंधों की निगरानी की जा रही है। 25 साल बाद सरयू का जलस्तर जुलाई में 93 मीटर के पार पहुंचा है। इससे पहले वर्ष 1999 के जुलाई माह में सरयू का जलस्तर 93़ 02 मीटर तक पहुंचा था। बृहस्पतिवार की सुबह नौ बजे जलस्तर 93. 10 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। पिछले नौ घंटे में जलस्तर पांच सेमी घट गया है। शाम छह बजे सरयू का जलस्तर 93़ 05 मीटर रिकॉर्ड किया गया जो कि लाल निशान से 32 सेमी ऊपर है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, पहाड़ों में बारिश का क्रम लगातार जारी है। इसलिए सरयू के जलस्तर में अभी और वृद्धि हो सकती है।
पूरा बाजार प्रतिनिधि के मुताबिक, सदर तहसील के पिपरी संग्राम, मडना माझा, रामपुर पुवारी माझा, मूड़ाडीहा, उडदाहवा सहित एक दर्जन गांव पानी से घिर गए हैं। टापू जैसी स्थिति बन गई है। यहां सबसे बड़ा खतरा बिजली के खंभों से है। फसलें भी पानी में डूब गई हैं।
सोहावल का मांझाकला गांव डूबा
सोहावल प्रतिनिधि के मुताबिक, तहसील का मांझाकला गांव बाढ़ से प्रभावित है। इन गांव के आठ मजरे हैं। सभी मजरों में पानी भर गया है। आवागमन के लिए नाव लगाई गई है। ढेमवा पुल का कुछ हिस्सा भी पानी में बह गया है। पुल पर आवागमन रोक दिया गया है। गोंडा व सोहावल रोजाना आवागमन करने वालों के लिए परेशानी बढ़ गई है। आवागमन के लिए यहां चार स्टीमर व नावें लगाई गई हैं।
बाढ़ की निगरानी के लिए तहसील स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। तटबंधों की निगरानी 24 घंटे की जा रही है। 38 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। तहसील सदर में छह, सोहावल में एक और तहसील रूदौली में तीन बाढ़ केंद्र/राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से बचाव एवं राहत के लिए 37 व पशु चिकित्सा विभाग की ओर से 21 टीमों का गठन किया गया है।- गौरव दयाल, मंडलायुक्त
बैराज पर राप्ती फिर लाल निशान पार, दहशत में कछार वासी
राप्ती नदी का जलस्तर एक बार पुन: तेजी से बढ़ते हुए शुक्रवार को बैराज पर खतरे का निशान पार कर गया। बढ़े जलस्तर के साथ ही जहां राप्ती की लहरों ने अपने तट पर बसे गांव व खेतों में कटान तेज कर दिया है। वहीं कछारवासी बाढ़ की संभावना को लेकर एक बार पुन: दहशत में आ गए है। राप्ती नदी की कछार में बसे गांवों के लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ जहां विगत दिनों आई बाढ़ का पानी अभी खेतों से कम भी नहीं हुआ। वहीं बृहस्पतिवार रात नेपाल सहित पहाड़ों पर हुई 2.5 एमएम बरसात के बाद राप्ती नदी का जलस्तर एक बार पुन: बढऩे लगा है। नेपाल के कुसुम बैराज से 47682 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जमुनहा बैराज पर नदी का जलस्तर 127.35 मीटर से बढ़ कर 127.90 मीटर पहुंच गया। जो खतरे के निशान से 127.70 से 20 सेंटीमीटर अधिक है। अचानक बढ़े जलस्तर के कारण राप्ती नदी की उग्र लहरें अपने तट पर बसे ककरदरी, धूम बोझी सहित अन्य गांवों के खेतों में तेजी से कटान करने लगी है। वहीं जमुनहा का ककरदरी गांव भी नदी के कटान के मुहाने पर आ गया है। जिससे ग्रामीण दहशत में आ गए हैं। इतना ही नहीं बाढ़ की विभीषिका झेल चुके कछार वासियों को एक बार पुन: बाढ़ व कटान का खतरा सताने लगा है।
सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से हो रही कटान
बहराइच जिले में हुई मूसलाधार बारिश व नेपाली नदियों-नालों से आया भीषण पानी सरयू की बाढ़ के रूप में 50 से अधिक गांवों में दाखिल हो गया था। जो अब धीरे-धीरे कर निकल रहा है। लेकिन बाढ़ का पानी निकलने के साथ ही बाढ़ पीड़ितों की असली समस्या उभर कर सामने आ रही है। बाढ़ ने शिवपुर विकासखंड क्षेत्र में 21 घरों का निगल लिया, जिसके बाद सभी परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं और तिरपाल के नीचे रातें गुजारने को विवश हैं। वहीं डीएम व सीडीओ ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र पहुंचकर पीड़ितों का हाल जाना व उनकी हर संभव मदद किए जाने का आश्वासन दिया।
सरयू की बाढ़ ने शिवपुर विकासखंड में भीषण तबाही मचाई है। बाढ़ का पानी विकासखंड क्षेत्र के दर्जनो गांवों में घुसा था, जो अब निकल गया है। लेकिन अपने पीछे मुसीबतों का पहाड़ छोड़ गया है। वहीं सरयू की लहरों ने ग्राम पंचायत बौंड़ी के मजरा दुईजीपुरवा, अंबरपुर के मजरा पसियनपुरवा के 21 घरों को निगल लिया। जिससे दुईजीपुरवा निवासी पहलवान, भोलानाथ, हरीराम, राकेश, राजेंद्र, मीरा देवी, अजय कुमार, ओम प्रकाश, अमिरका प्रसाद, अमृत लाल, सुरेश कुमार, सुग्रीव प्रसाद आदि व पसियनपुरवा निवासी सीताराम, मंशाराम, राम मूरत, रामसूरत किशनावती आदि खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। सभी प्रशासन द्वारा दिए गए तिरपाल के नीचे दोपहर की धूप व अंधेरी रात काट रहे हैं। जिससे उनकी जिंदगी नरक बन गई है। लेखपाल प्रदीप कुमार ने बताया है कि कुल 21 लोगों के मकान कट गये हैं, इन सभी कटान पीड़ितों को त्रिपाल दिया गया है। साथ ही अन्य मदद के लिए प्रयास किया जा रहा है।
सरयू अब भी लाल निशान से 32 सेमी ऊपर, बढ़ा रही धुकधुकी
जिले में बारिश का दौर थमे चार दिन से अधिक हो गया है और सरयू के जलस्तर में भी कमी आई है। लेकिन सरयू अब भी खतरे के निशान से नीचे नहीं आई है और अब भी खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिससे जिला प्रशासन के साथ-साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की भी धुकधुकी बढ़ी हुई है। बृहस्पतिवार की सुबह सरयू में शारदा बैराज से 1, 83, 480 क्यूसेक, गिरिजा बैराज से 1, 15, 127 और सरयू बैराज से 10,140 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। तीनों बैराजों से कुल 3, 08, 747 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। वहीं एल्गिन बैराज पर सरयू का जलस्तर खतरे के निशान 106.07 के सापेक्ष 106.39 मीटर रहा।
डीएम ने जाना पीड़ितों का दर्द
मिहींपुरवा तहसील में सरयू नदी में आयी बाढ से प्रभावित गांवों का डीएम मोनिका रानी ने दौरा कर बाढ़ पीड़ितों का दर्द जाना। बाढ़ से ग्राम बड़खड़िया और जंगल गुलरिया और सुजौली में लोग प्रभावित है। बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों की समस्याओं को सुन डीएम मोनिका रानी जिले ने अन्य विभागों के अधिकारियों को प्रभावित लोगों को आवश्यक सहायता दिलाने को कहा। डीएमए ने पीड़ित महिलाओं से बात की और उनकी समस्याओं के बारे में पूछा। डीएम काफी दूर तक पैदल चलकर बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचीं।
शारदा में समाए 30 घर, बालक की डूबने से हुई मौत
सड़क पर भरे बाढ़ के पानी में डूबने से लहरपुर में एक बालक की मौत हो गई। वहीं गांजर में सरयू व शारदा नदियों का पानी घटने के साथ अब कटान तेज हो गई है। शारदा की बेकाबू लहरों ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। रतनगंज गांव लहरों के निशाने पर है। शारदा में 30 घर समा गए हैं, जबकि आठ कटान के मुहाने पर हैं। तबाही का मंजर देख ग्रामीण दहशत में हैं। वह गृहस्थी समेटकर सड़क के किनारे डेरा डाल रहे हैं। सिंचाई विभाग कटान की रोकथाम में जुटा हुआ है। उधर, बैराजों से बृहस्पतिवार को 3 लाख 50 हजार 467 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बाढ़ प्रभावितों का कहना है, कि पानी घटने से कटान लगातार तेज होती रहती है। कटान को रोका न गया तो हालात बेहद भयावह हो सकते हैं।
लहरपुर के गांव मुशियाना में बृहस्पतिवार सुबह गुजरने वाली शारदा नदी का पानी उफनाकर गांव में घुस गया। सारे रास्ते जलमग्न हो गए। इसी बीच रास्ते से गुजर रहा गांव निवासी हरिश्चंद्र (10) गहरे पानी में डूब गया। साथ के अन्य बच्चों ने डूबने की सूचना परिजनों को दी। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने शव को पानी से निकाला। इसके बाद पुलिस व तहसील प्रशासन को जानकारी दी। नायब तहसीलदार अशोक यादव ने बताया कि बच्चे के डूबने की सूचना मिली है। राजस्व टीम को मौके पर भेजा गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
वहीं सरयू नदी का पानी 24 घंटे में 40 सेमी. कम हुआ है। बृहस्पतिवार को जलस्तर 118 मीटर दर्ज किया गया। शारदा नदी का पानी भी बुधवार की तुलना में घटा है। इससे लहरों ने कटान तेज कर दी है। रतनगंज गांव पिछले साल भी शारदा की लहरों के निशाने पर आया था। आरसीसी सड़क समेत करीब सात मकान कटकर शारदा में समा गए थे। मस्जिद आधी कट गई थी। सिंचाई विभाग के काफी प्रयास के बाद रतनगंज को कटान से बचाया जा सका था। इस बार फिर रौद्र रूप धारण कर शारदा नदी की लहरों ने रतनगंज में तबाही मचानी शुरू कर दी है।
यहां 24 घंटे के दरम्यान आजाद, मोइन, अलामुद्दीन, हनीफ, अख्तर, शरीफ, सोहराब, मुश्ताक, छोटन्न व इरफान समेत 30 लोगों के घर कटान की भेंट चढ़ गए। लेखपाल ने बताया कि कटान पीड़ितों की सूची बनाई जा रही है। इसके अलावा गांव के पास की सड़क भी कटकर शारदा में समा गई। वहीं, सोहन, इकरार, बुलाकी, सलीम, बच्चउ, संतराम लल्लन, बब्बन समेत आठ लोगों के घर सैलाब के निशाने पर हैं। कब कटकर नदी में समा जाएं, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। नदी का रुख भांपकर ग्रामीण अपने हाथों से आशियाने तोड़ रहे हैं। गांव से सुरक्षित स्थानों पर काशीपुर-तंबौर मार्ग के किनारे ग्रामीण डेरा डाल रहे हैं। कटान के मुहाने पर पहुंचने से गांव के शिव मंदिर का अस्तित्व भी खतरे में है। सिंचाई विभाग की टीम गांव को कटान से बचाने की मशक्कत में जुटी हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि कटान शुरू होने के बाद सिंचाई विभाग अब बांस की बाड़ लगाने के साथ स्टड बना रहा है। जिम्मेदार यदि समय रहते बाढ़ व कटान रोकने के प्रयास करते तो स्थिति नियंत्रण में रहती। पिछले साल के हालातों से भी जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को बेघर होकर चुकाना पड़ रहा है।
लंच पैकेट को तरस रहे रतनगंज के बाढ़ पीड़ित
रतनगंज के बाढ़ पीड़ितों तक सरकारी सहायता नहीं पहुंच पा रहे है। लंच पैकेट न मिलने से ग्रामीणों को भूखे रहना पड़ रहा है। मतीन व सुहैल आदि ने बताया कि बुधवार को बिसवां एसडीएम मनीष कुमार आए थे। उन्होंने खाने के पैकेट व एक-एक प्लास्टिक का तिरपाल दिया था। बृहस्पतिवार को दोपहर तक खाने को कुछ नहीं मिला है। ईंधन के अभाव में खाना बना भी नहीं पा रहे हैं। राहत शिविर किशोरगंज व रमुआपुर में बनाए गए हैं। जो रतनगंज से 10 किमी दूर है।
डीएम के रतनगंज न पहुंचने से बाढ़ पीड़ित मायूस
जिलाधिकारी अभिषेक आनंद बृहस्पतिवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर निकले थे। चहलारी घाट से डीएम ने स्थिति देखी और मातहतों को निर्देशित कर वापस चले गए। रतनगंज में शारदा की कटान तबाही मचा रही है। यहां के ग्रामीणों को उम्मीद थी कि डीएम आएंगे तो उनसे अपना दर्द साझा करेंगे। लेकिन उन्हें मायूस होना पड़ा। ग्रामीणों का आोप है, कि तहसील के अफसरों ने जानबूझकर डीएम को रतनगंज नहीं जाने दिया गया। डीएम वहां पहुंचते तो ग्रामीण सच्चाई बयान कर देते और तहसील प्रशासन की पोल पट्टी खुल जाती।
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