उत्तर प्रदेश

Shahjahanpur Kolaghat Pul: कोलाघाट पुल पर नहीं चल सकेंगे बड़े वाहन

अब भी बस और भारी वाहन नहीं निकलेंगे। नया पुल ही इसका स्थायी समाधान होगा।

शाहजहांपुर। (Shahjahanpur Kolaghat Pul) उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद के जलालाबाद क्षेत्र में रामगंगा नदी पर बना कोलाघाट पुल (Shahjahanpur Kolaghat Pul) पर बड़े वाहन चलने की संभावना नहीं लग रही है। लोगों के प्रदर्शन के बाद (Kolaghat Pul) पर वाहन निकालने के लिए लोड टेस्ट हुआ लेकिन वह भी राजनीति का शिकार लग रहा है।भार वहन क्षमता जांच के निपटने के बाद कोलाघाट पुल से आवागमन की व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही लौट आई है। जांच रिपोर्ट सकारात्मक आने पर हल्के चार पहिया वाहनों के संचालन की अनुमति मिल जाने की संभावना भी कम नजर आ रही है। (Shahjahanpur Kolaghat Pul)

(Shahjahanpur Kolaghat Pul) बड़े वाहन नहीं निकलेंगे

अब भी बस और भारी वाहन नहीं निकलेंगे। नया पुल ही इसका स्थायी समाधान होगा, लेकिन अब उसकी मांग ठंडे बस्ते में चली गई है। समुचित पैरवी न होने से एक साल से नए पुल निर्माण संबंधी फाइल शासन में धूल फांक रही है। जलालाबाद-शमशाबाद मार्ग पर गांव कोला के निकट रामगंगा और बहगुल नदियों पर बना 18 सौ मीटर लंबा कोलाघाट का पुल आवागमन के लिहाज से कटरी क्षेत्र की जीवनरेखा कहा जाता है।

इसका कारण इस क्षेत्र के अलावा बदायूं, फर्रुखाबाद और कायमगंज से लेकर कंपिल तक फैले कटरी क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन का यही मुख्य रास्ता है। इस समूचे क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा विभिन्न नदियों के खादर में बसा हुआ है और उन लोगों के बीच रिश्तेदारी, नौकरी व व्यापार समेत विभिन्न तरह के जुड़ाव के कारण एक-दूसरे क्षेत्र में बराबर आना-जाना रहता है। डेढ़ दशक पहले कोलाघाट पुल के हुए निर्माण से लोगों को आवागमन में बड़ी सहूलियत मिली थी। कटरी क्षेत्र के विकास को भी रफ्तार मिली थी।

29 नवंबर 2021 को एक पिलर धंस जाने से यह पुल दो टुकड़ों में बंट गया। पुल की मरम्मत पर 6.25 करोड़ खर्च हुए। सीआरआरआई (CRRI) की जांच रिपोर्ट में पुल को पूरी तरह असुरक्षित बताने पर शासन ने पुल को आवागमन के लिए प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद नए पुल की जरूरत महसूस की जाने लगी और करीब एक साल पहले सेतु निगम की ओर से नए पुल के लिए 163 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया।

लोगों के विरोध प्रदर्शन के चलते पुल से दोपहिया वाहनों के संचालन की अनुमति मिल गई थी। इस साल हल्के चार पहिया वाहनों के संचालन की अनुमति दिए जाने की मांग को लेकर फिर से आंदोलन शुरू होने पर शासन के निर्देश पर सेतु निगम ने पुल की भार वहन जांच की कवायद शुरू की। यह जांच 23 सितंबर को पूरी कर ली गई है। लोगों का कहना है कि जांच रिपोर्ट के बाद पुल से हल्के चार पहिया संचालन की अनुमति मिल जाने से भी आम जनता को राहत नहीं मिलेगी। क्षेत्र में बिना वाहन वाले ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है, जो बसों पर ही निर्भर हैं। इसका संचालन न होने से उन लोगों के लिए दिक्कत बरकरार रहेगी।

चार पहिया वाहनों का संचालन पुल से शुरू हो जाने पर पैंटून पुल भी नहीं बनेगा। व्यापारिक गतिविधियों की सुविधा के लिए ट्रक और काश्तकारों के उपज की बिक्री को जाने और ले जाने का साधन ट्रैक्टर-ट्राॅली का भी संचालन नहीं हो पाएगा। कोलाघाट पुल टूटने पर सरकार ने नया टू-लेन पुल बनवाने का एलान किया था। पुराने पुल के समानांतर नए पुल के निर्माण कार्य को वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य योजनांतर्गत नव निर्माण के लिए चौथे चरण के कार्यों में सम्मिलित कर लिया गया है। अगस्त 2023 में घोषणा होने के बाद अब तक शासनादेश नहीं पारित किया गया है। माना जा रहा है कि शासनादेश आने के बाद भी पुल बनने में एक साल से ज्यादा समय लग जाएगा। शासनादेश कब तक आएगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

  • इस सम्बंध में जलालाबाद के विधायक हरिप्रकाश वर्मा ने कहा आम लोगों के आवागमन का स्थायी समाधान नए पुल के निर्माण से ही हो सकेगा। इसकी फाइल अन्य जगह स्वीकृत होकर शासन में लंबित है। मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इसे शीघ्र स्वीकृति दिलाने का प्रयास करेंगे।
  • वहीं सेतु निगम के डीपीएम बिजेंद्र मौर्या ने कहा कि कोला पुल के निर्माण के लिए प्रस्ताव काफी पहले भेजा जा चुका है। अभी उसकी स्थिति यथावत है। पुराने पुल की भार वहन क्षमता की जांच हुई है। इसकी जांच रिपोर्ट आने में लगभग 15 दिन का समय लग जाएगा। इसके बाद इस पर हल्के चारपहिया वाहनों के संचालन पर फैसला होगा।

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