Rampur News: यूपी का ये गांव बना ‘मिनी कोलकाता’
बंजर जमीन से खुशहाली तक का सफर सालों पहले धनौरा गांव की जमीन बंजर हुआ करती थी.
रामपुर। (Rampur News) उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की तहसील मिलक का धनौरा गांव, जो कभी बंजर जमीन के लिए जाना जाता था, आज अपनी मेहनत और नवाचार से ‘मिनी कोलकाता’ के नाम से मशहूर हो चुका है. यहां की मछली हैचरी और पालन ने न सिर्फ गांव की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि इसे देशभर में अलग पहचान दिलाई है. धनौरा गांव में अब 60 से 65 फिश हैचरी हैं और करीब 400 परिवार मछली पालन से जुड़े हुए हैं. (Rampur News)
(Rampur News) मछली पालन ने बदली तस्वीर
गांव के हर कोने में तालाब और हैचरी नजर आते हैं. मछली पालक सुरजीत कुमार मिश्रा बताते हैं कि लगभग 50-60 साल पहले यहां मछली पालन की शुरुआत हुई थी. धीरे-धीरे यह परंपरा बढ़ी और आज एक हेचरी में 25 से 35 लोग काम कर रहे हैं. गर्मियों में मछली चार महीने में तैयार हो जाती है, जबकि सर्दियों में इसमें 6 से 7 महीने लगते हैं.
यहां तैयार मछली बीज मद्रास, पुणे, मुंबई, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों तक भेजी जाती है. विविध प्रकार की मछलियां और मछली बीज तैयार करने के कारण धनौरा गांव ने अपनी पहचान पूरे देश में बनाई है.
खेती छोड़ कर रहे मछली पालन
बंजर जमीन से खुशहाली तक का सफर सालों पहले धनौरा गांव की जमीन बंजर हुआ करती थी. खेती-किसानी से लोग संतोषजनक लाभ नहीं कमा पा रहे थे. ऐसे में मत्स्य पालन ने लोगों को एक नई उम्मीद दी. मछली पालक छुंगरी लाल बताते हैं कि गांव के ज्यादातर परिवार अब पूरी तरह मछली पालन में जुट गए हैं. खेती छोड़कर मछली पालन ने लोगों को लाखों का मुनाफा दिया है. गांव की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत हो गई है कि यहां के लोग बेहद खुश हैं.
अन्य गांवों के लिए मिसाल
जिले की नई पहचान धनौरा गांव न केवल अपनी सफलता की कहानी बयां करता है, बल्कि यह उदाहरण भी पेश करता है कि कैसे मेहनत और सही दिशा में प्रयास से बदलाव लाया जा सकता है. बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर और मछली पालन को व्यवसायिक रूप देकर इस गांव ने प्रगति की राह पर कदम बढ़ाया है. धनौरा आज रामपुर का गौरव बन चुका है और अपनी प्रेरणादायक कहानी से अन्य गांवों के लिए भी मिसाल है.