Mayawati Press Conference: मायावती सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर वर्गीकरण के फैसले से नाराज
आरक्षण का वर्गीकरण एससी एसटी समाज के लिए ये आपातकाल जैसी स्थिति- मायावती
लखनऊ। (Mayawati Press Conference) बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर वर्गीकरण के फैसले से नाराज हैं। लखनऊ में उन्होंने मीडिया को बयान देते हुए कहा कि एससी एसटी समाज के लिए ये आपातकाल जैसी स्थिति है। समाज को एकजुट रहना चाहिए। (Mayawati Press Conference) सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर वर्गीकरण के फैसले से नाराज मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि ये अनुसूचित जाति और जनजाति समाज के लिए इमरजेंसी जैसी हालत है। (Mayawati Press Conference)
Breaking News
Lucknow
बीएसपी सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है की एससी एसटी समाज के लिए ये आपातकाल जैसी स्थिति है। समाज को एकजुट रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर वर्गीकरण के फैसले से नाराज मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा की ये अनुसूचित जाति और जनजाति समाज… pic.twitter.com/fQa6KYKEAA
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) August 4, 2024
बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. उन्होंने बसपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति में उपजाति विभाजित करने के फैसले से सहमत नहीं है. भविष्य में आरक्षण में बदलाव की कोशिशें न की जाएं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति व जनजाति एकजुट हो. यदि वो बंटे रहेंगे तो विरोधी उनका फायदा उठाएंगे.
राज्य सरकारें आरक्षित वर्ग की नई सूची बना सकेंगी
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट की 7 जज की बेंच ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के संबंध में एससी और एसटी के उप-वर्गीकरण (SC ST Classification) का फैसला दिया है, जिससे हमारी पार्टी असंतुष्टि व्यक्त करती है. सुप्रीम कोर्ट के देविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में दिए गए फैसले के तहत राज्य सरकारें उप-वर्गीकरण के नाम पर आरक्षित वर्गों की नई सूची बना सकेंगी, जिससे नए मुद्दे पैदा होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के जरिए 2004 में 5 जज की बेंच के ईवी चिन्नैयाह बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में दिए गए 20 साल पुराने फैसले को पलट दिया है. जिसमें एससी और एसटी के वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी गई थी. साथ ही एससी और एसटी के उप-वर्गीकरण के बारे में भी स्थिति को स्पष्ट किया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब राज्य के मामले में 20 साल पहले के फैसले पर सुनवाई सही नहीं। साथ ही साथ एससी एसटी के बीच उपजाति का विभाजन करना सही नहीं फैसला नहीं होगा। बसपा सुप्रीमों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने के प्लान जैसा है। उन्होंने क्रीमीलेयर के मानक पर भी सवाल उठाए।
मायावती ने दो टूक लहजे में कहा कि भविष्य में आरक्षण में किसी भी तरह के बदलाव की कोशिशें न हों। संविधान के नौवीं अनुसूची में इसे शामिल किया जाए। अनूसूचित जातियों को आगाह करते हुए मायावती ने कहा कि आपातकालीन की स्थिति को समझते हुए एससी-एसटी वर्ग को एकजुट होने की जरूरत है। यदि वह बंटे रहेंगे तो विरोधी उनका फायदा उठाएंगे।
‘कोर्ट के फैसले सहमत नहीं बसपा’
मायावती ने आगे कहा कि हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं है. हम आरक्षण में किसी भी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं. SC-ST आरक्षण व्यवस्था को लेकर संविधान में उचित संशोधन होना चाहिए और इस संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए. अदालत के इस तरह के फैसले से केंद्र और राज्य सरकारों में मतभेद की स्थिति पैदा होगी. सरकारें मनचाही जातियों को आरक्षण देने का काम करेंगी.
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
बता दें कि गुरुवार 1 अगस्त को देश की सर्वोच्च अदालत ने SC-ST के आरक्षण के बंटवारे को लेकर अपना फैसला सुनाया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि SC-ST आरक्षण के अंदर किसी विशेष जाति या कुछ जातियों को अलग से आरक्षण दिया जा सकता है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया और 6:1 के बहुमत से 2004 के ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश फैसले को पलट दिया।