Mahakumbh 2025: महा कुंभ मेला 2025 में ये हैं शाही स्नान की तिथियां
कुंभ का आयोजन केवल सिर्फ प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है।
लखनऊ। (Mahakumbh 2025) हिंदू धर्म में कुंभ मेले को बहुत ही खास माना जाता है। कुंभ की भव्यता और मान्यता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि कुंभ में स्नान करने के लिए लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। अगला महाकुंभ, प्रयागराज इलाहाबाद में आयोजित होने जा रहा है। इसका आयोजन केवल सिर्फ प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है। जिसके पीछे एक पौराणिक कथा मिलती है। (Mahakumbh 2025)
(Mahakumbh 2025) कुंभ पर्व 2025 शाही स्नान तिथियां
महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार कुंभ मेला खास होने वाला है। इस बार कुंभ मेला का आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है।
300 साल पुराने अक्षयवट ने जुड़ा पौराणिक महत्व
बताते चलें कि, महाकुंभ से अक्षय वट का नाता पौराणिक है यानी 300 वर्ष पुराने अक्षयवट के महत्व को बताया गया है। इसके अनुसार कहा जाता हैं कि, महा कुंभ के दौरान संगम स्नान के पश्चात 300 वर्ष पुराने अक्षयवट के दर्शन करने के बाद ही स्नान का फल मिलता है। इसके अलावा यह भी कहते हैं कि दर्शन करने से मान्यताएं पूरी हो जाती हैं। इस अक्षय वट की महिमा को बढ़ाते हुए सरकार की महत्वाकांक्षी अक्षयवट कॉरिडोर सौंदर्यीकरण योजना को लाया जा रहा है। इस योजना को मुख्यमंत्री योगी स्थान का जायजा ले चुके हैं।
कुंभ पर्व 2025 शाही स्नान तिथियां
- पौष पूर्णिमा स्नान– 13 जनवरी 2025
- मकर संक्रांति– 14 जनवरी 2025
- मौनी अमावस्या– 29 जनवरी 2025
- बसंत पंचमी– 3 फरवरी 2025
- माघी पूर्णिमा– 12 फरवरी 2025
- महा शिवरात्रि – 26 फरवरी, 2025
महाकुंभ में नागा-अघोरी की जीवन शैली को समझ सकेंगे श्रद्धालु
अर्धकुंभ और महाकुंभ का सर्वाधिक आकर्षण नागा संन्यासी होते हैं। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं को न सिर्फ नागाओं और अघोरियों को पास से देखने बल्कि उनकी जीवन शैली भी जानने का अवसर मिलेगा।
इसके लिए पर्यटन विभाग उनकी जीवन शैली को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए विशेष पैकेज बना रहा है। अर्धकुंभ व महाकुंभ में जब शाही स्नान के लिए नागा संन्यासी व अघोरी निकलते हैं, तभी आम श्रद्धालु उनके दर्शन कर पाते हैं।
आम लोग उनके शिविर में नहीं जाते हैं। क्योंकि इससे आम लोग के साथ ही नागा संन्यासी व अघोरी भी परहेज करते हैं। पर, इस बार उप्र राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) आम लोगों को इनके अखाड़ों के शिविर तक पहुंचाएगा।
प्रशिक्षित गाइड के माध्यम से लोगों को वहां ले जाएगा। वे नागाओं-अघोरियों के रोचक, रोमांचक, इतिहास व उनके तप से जुड़ी जानकारी भी देंगे। इसके लिए एक शुल्क निर्धारित कर पांच-छह लोगों का ग्रुप बनाया जाएगा।
बता दें कि ठिठुराने वाली ठंड में भी नागा संन्यासी बिना कपड़ों के रहते हैं। अर्धकुंभ और महाकुंभ के दाैरान ही नए नागाओं को कठिन पूजा के बाद अखाड़ों में शामिल किया जाता है। उनकी जीवन शैली भी बहुत कठिन होती है।
अध्यात्म के साथ रोमांच का आनंद भी
पर्यटन विभाग महाकुंभ-2025 को आकर्षक के साथ रोमांचक भी बनाने के प्रयास में लगा है। वह पर्यटकों को अध्यात्म के साथ वाटर स्पोर्ट्स व पैरासेलिंग की भी सुविधा देगा। अरैल घाट पर वाटर स्पोर्ट्स का आयोजन किया जाएगा। वहीं, क्रूज व विशेष बोट का संचालन भी किया जाएगा। इससे पर्यटक शाम के बाद का विशेष नजारा देख सकेंगे।
गंगा-यमुना किनारे कराएंगे विशेष मेडिटेशन
श्रद्धालु और पर्यटक यहां रेत पर बसे शहर में कल्पवास के साथ-साथ स्नान, योग, प्राणायाम और ध्यान का भी आनंद ले सकेंगे। पर्यटन विभाग विशेष रूप से प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों के द्वारा अरैल घाट पर लोगों को ध्यान कराएगा।
इस सम्बंध में जयवीर सिंह, पर्यटन व संस्कृति मंत्री ने कहा कि महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है। इस बार यह पहले से अधिक दिव्य और भव्य होगा। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान-ध्यान के साथ ठहरने व भ्रमण के लिए बेहतरीन व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए कई पैकेज तैयार किए जा रहे हैं।