उत्तर प्रदेशलखनऊ

Lucknow News: बेईमानी से जीत पर छाती ठोंक रही भाजपा!

अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव 2027 के लिए ठोंकी ताल

लखनऊ। (Lucknow News) उत्तर प्रदेश में अभी हाल ही में हुए उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कर ली है। समाजवादी पार्टी को करारी हार मिली है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें पश्चिमी यूपी में हुए उपचुनाव में मुस्लिम वोटरों को वोट नहीं डालने देने का आरोप लगा है। अब समाजवादी कह रही है कि बेईमानी से जीत पर भाजपा छाती ठोक रही है। अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव 2027 के लिए अभी से ताल ठोक रहे हैं। (Lucknow News)

(Lucknow News) भाजपा की जीत से ताकतकर बनकर उभरे योगी

उपचुनाव में मिली जीत ने भारतीय जनता पार्टी में बीते कई महीनों से चल रही अंदरूनी भितरघात पर लगाम कस दी है। लोकसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद पार्टी के भीतर ही योगी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले नेताओं को इस जीत ने निरुत्तर कर दिया है। सिर्फ योगी ही नहीं, इस जीत से भाजपा संगठन भी ज्यादा शक्तिशाली बनकर उभरा है। संगठन में बदलाव के कयासों पर भी इस जीत की वजह से विराम लग सकता है। (Lucknow News)

बता दें कि विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाली थी। साथ ही, 30 मंत्रियों को भी मोर्चे पर तैनात किया था। संगठन के विस्तार के लिए सदस्यता अभियान उपचुनाव में जीत की बड़ी वजह बनकर उभरा। इसने बड़े नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में पिराेने का काम किया, जिसका असर उपचुनाव में देखने को मिला है।

पार्टी द्वारा उपचुनाव में ”बंटेंंगे तो कटेंगे” और ”एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे” नारों का इस्तेमाल मुफीद साबित हुआ। करीब डेढ़ वर्ष बाद प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इन नारों को तवज्जो मिलनी तय है, जो वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने का काम करेंगे। खासकर विपक्ष द्वारा चुनाव को जातियों की गणित में उलझाने का फॉर्मूले की काट भाजपा इनके जरिए करेगी।

लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में अचानक बदलाव आया और भाजपा के तमाम बड़े नेता दिल्ली तलब किए जाने लगे। मुख्यमंत्री की बैठकों में कई बड़े मंत्रियों की गैरमौजूदगी को उनकी नेतृत्व से नाराजगी से जोड़ा जाने लगा। विपक्ष ने भी इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के कयासों को बल देने लगे। हालांकि इससे इतर योगी पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुटे रहे। उपचुनाव वाले जिलों में उनके ताबड़तोड़ दौरों ने सियासी हवा का रुख बदल दिया। नतीजतन, लोकसभा चुनाव के बाद संगठन की समीक्षा बैठकों में शामिल न होने वाले नेता भी अपना रुख बदलने को मजबूर हो गए। इतना ही नहीं, सरकार और संघ के बीच सांमजस्य पर भी काम हुआ जिसका असर उपचुनाव में जमीन पर देखने को मिला।

जीत की गारंटी बने याेगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में विधानसभा चुनाव, उपचुनाव, विधान परिषद उपचुनाव, नगर निकाय चुनावों में भाजपा व एनडीए को जीत दिलाई तो अन्य राज्यों में भी भाजपा कार्यकर्ता के रूप में खूब पसीना बहाया। लिहाजा पीएम मोदी के नेतृत्व में कई राज्यों में भाजपा सरकार बनी। कुंदरकी व कटेहरी में भी कमल खिलने से भाजपा हाईकमान का भी योगी पर भरोसा बढ़ा है और उन्हें जीत की गारंटी मान लिया गया है। बता दें कि इस बार निकाय चुनाव में भी भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। मई में विधान परिषद की दो सीटों पर भी भाजपा जीती थी। पीएम मोदी के नेतृत्व में महाराष्ट्र में भी महायुति गठबंधन ने फिर से सत्ता हासिल की। पीएम के निर्देशन में योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में 24 प्रत्याशियों के लिए वोट देने की अपील की। इनमें से 22 पर महायुति गठबंधन ने जीत हासिल की है। इससे पहले त्रिपुरा, ओडिशा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में भी योगी ने भाजपा कार्यकर्ता के रूप में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया, जो कमल खिलाने में मददगार साबित हुआ।

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