Hardoi News: हरदोई में फर्नीचर कारोबारियों ने बयां किया दर्द बोले- ‘नो-इंट्री हमारे लिए खतरे की घंटी
पुलिस और अन्य विभागों द्वारा हो रहा उत्पीड़न कारोबार करने में रोड़े अटका रहा है।
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हरदोई। (Hardoi News) उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद में फर्नीचर कारोबारी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा घरों की शान-ओ-शौकत के लिए तो हम पूरी तरह से तत्पर हैं पर हमारी कहींं सुनवाई नहीं होती। कारोबारियों का कहना है कि व्यापार तो चल रहा पर आफत भी कम नहींं। बाजार में लगने वाला जाम, गंदगी, फर्नीचर के लिए आसानी से लकड़ी की उपलब्धता न होना जैसी कई समस्याएं सालती हैं। फर्नीचर लाने वाले वाहनों की नो इंट्री भी परेशान किए है। महंगी बिजली की दरें रही-सही कसर पूरी कर रही हैं। पुलिस और अन्य विभागों द्वारा हो रहा उत्पीड़न कारोबार करने में रोड़े अटका रहा है। (Hardoi News)
(Hardoi News) नो-इंट्री हमारे लिए खतरे की घंटी
उन्होंने कहा कि घरों की खूबसूरती पर चार चांद लगाना हमारा काम है। बैठने-सोने से लेकर जरूरी सामान तक हम बनाते हैं, पर हमारी दिक्कतें देखने वाला कोई नहीं है। कई बार आवाज उठाई पर इन्हें दूर करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। क्या करें, हमारा कोई खुद का संगठन तो है नहीं जो हमारी आवाज को बुलंद करे। यह दर्द बयां करते हुए फर्नीचर कारोबारी मो. जावेद का कहना है कि फर्नीचर ढोने वाले वाहनों की बाजार में नो-इंट्री हमारे लिए खतरे की घंटी है।
व्यापारियों का कहना है कि फर्नीचर कारोबार फुटपाथ की पटरी से लेकर पॉश इलाके में आलीशान हालनुमा दुकान तक में संचालित हो रहा है पर टैक्स की मार सबको समान रूप से सहनी पड़ रही है। फर्नीचर व्यापार मंडल से जुड़े अनीस कहते हैं कि सामान्य परिवार में इस्तेमाल होने वाले तख्त, बेंच, कुर्सी, मेज, अलमारी, खिड़की, दरवाजे, चौखट जैसा फर्नीचर बनाने वालों की अधिकांश दुकानें फुटपाथ पर हैं। ये दुकानदार किसानों से सूखी लकड़ी खरीदते हैं। किसान कहां से बिल लाकर दें ? फर्नीचर दुकानदार कहते हैं कि आम आदमी से जुड़ा फर्नीचर बनाने के लिए लकड़ी की उपलब्धता में भारी दिक्कत हो रही है। लोहा व एल्यूमिनियम भी कानपुर, लखनऊ जैसे बड़े शहरों से आता है। शहर और कस्बों की मुख्य मार्केट तक लोडर और ट्रैक्टर ट्रॉली पहुंचने में नो-इंट्री बड़ी बाधक है। इससे ग्राहक मुख्य मार्केट में आने से कन्नी काटने लगते हैं, क्योंकि खरीदा गया माल उन्हें घर तक ले जाने में परेशानी होती है। प्रशासन दुकानदार से बात करके ऐसे वाहनों को प्रवेश की अनुमति फर्नीचर की दुकान तक दे जो फर्नीचर को ढोने के लिए इस्तेमाल हो रहे हों।
फर्नीचर कारीगरों को छूट पर दी जाए बिजली
घरेलू उपयोग का फर्नीचर बनाने वाले कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए बिजली का कनेक्शन छूट की दरों पर मिले। इससे लागत में कमी आएगी। लोहे और स्टील से निर्मित होने वाले फर्नीचर में वेल्डिंग से लेकर कटिंग तक में मशीनों का उपयोग बिजली सस्ती होने से बढ़ेगा। ऐसी स्थिति में कारीगरों को काम के दौरान सहूलियत भी मिलेगी। पुलिस और वन विभाग उत्पीड़न न करे : फर्नीचर कारोबारियों का दर्द है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के खेतों, खाली पड़ी जमीनों पर आम, शीशम, यूकेलिप्टस समेत अन्य पेड़ सूखने पर काटे जाते हैं। उन्हें कटवाने के लिए परमिट बनवाने से लेकर कटाई तक के दौरान वन विभाग और पुलिस का कहर टूटता है। इससे बेवजह परेशान होना पड़ता है। हजारों रुपये कटान स्थल से लेकर फर्नीचर की दुकान तक लकड़ी आने के दौरान खर्च हो जाते हैं। इसे तत्काल रोका जाना चाहिए। तभी परिवार चलाने लायक आमदनी फर्नीचर दुकानदार कर सकेंगे। कहते हैं कि कई बार अपनी समस्याएं अफसरों के सामने रखीं फायदा कुछ नहीं हुआ।
कर्मचारी भेजकर आयुष्मान कार्ड बनाए जाएं : फर्नीचर कारोबार में जुड़े दुकानदार व कारीगरों को धूल, गर्दा, धुआं आदि के बीच काम करने को मजबूर होना पड़ता है। इससे उनमें बीमारियां होने की काफी गुंजाइश होती है। बुढ़ापा आने तक वे आंखों की कम रोशनी से लेकर सांस लेने तक में दिक्कत की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। दुकानों पर कर्मचारियों को भेजकर आयुष्मान कार्ड बनाने की सुविधा दी जाए। अधिकांश कर्मचारी वर्तमान में इस योजना से वंचित हैं।
कारोबारियों की यह हैं शिकायतें
1. शीशम, चीड़ आदि की लकड़ी की उपलब्धता आसानी से नहीं हो पा रही है।
2. बाजारों में जाम की समस्या काफी गंभीर है। फर्नीचर लादकर वाहन बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते हैं।
3. दुकानों के आसपास नाले चोक हैं। इससे दुर्गंध उठ रही है। सफाई कर्मचारी कूड़ा उठाने के एवज में रुपये वसूल रहे हैं।
4. एमजी मार्ग पर दूसरी साइड में भी स्ट्रीट लाइटें खंभों पर लगाई जाएं। अभी दूसरी साइड में अंधेरा रहता है।
5. प्रशासन स्तर से कारोबारियों को कोई तवज्जो नहीं मिल रही, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान लंबित है।
कारोबारियों के सुझाव
1. फर्नीचर कारोबार में लगे बुजुर्गों की पेंशन स्वीकृत की जाए। कम से कम 5000 रुपये मासिक पेंशन देने की आवश्यकता है।
2. सूखे पेड़ों के कटान के परमिट की व्यवस्था को सरल किया जाए।
3. जीएसटी वापस देने के बजाय फर्नीचर दुकानदारों से लेना ही बंद करें।
4. ऑनलाइन विक्रेताओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए जिले व कस्बे के दुकानदारों को सहूलियतें दी जाएं।
5. स्टार्टअप के तहत ब्याज मुक्त ऋण मिले। इस पर अनुदान अलग से दिया जाए।
क्या बोले फर्नीचर कारोबारी
फर्नीचर कारोबार के लिए कच्चे माल के तौर पर लकड़ी महंगी मिल रही है। इसे आसानी से मुहैया कराने की व्यवस्था हो। –मो. जावेद, सवायजपुर कोठी
फर्नीचर बनाने के लिए अत्याधुनिक मशीनें महंगी हैं। इन्हें छूट रेट पर दुकानदारों को दिया जाए। –जमील अहमद, अशराफटोला
छोटे फर्नीचर पर किसी भी तरह का टैक्स न लगाया जाए। इससे माल सस्ता होगा तो बिक्री बढ़ेगी। –शकील मसूदी, मोमीनाबाद
फर्नीचर की दुकानों के आसपास सफाई के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाया जाए। नियमित सफाई हो। –आमिर, बोर्डिंग हाउस
एमजी मार्ग पर दूसरी साइड में रोशनी का इन्तजाम नहीं है। इधर भी फर्नीचर दुकानों के बाहर स्ट्रीट लाइट लगनी चाहिए। –मोहित शुक्ला, एमजी रोड
एमजी मार्ग पर दूसरी साइड में रोशनी का इन्तजाम नहीं है। इधर भी फर्नीचर दुकानों के बाहर स्ट्रीट लाइट लगनी चाहिए। –मोहित शुक्ला, एमजी रोड
फर्नीचर दुकानदारों को वाहन बाजार तक लाने की सुविधा दी जाए ताकि ग्राहक तक माल पहुंचा सकें। –रेहान सराय, थोक पूर्वी
बिजली कनेक्शन व बिल माफ किया जाए। जैसे किसानों को बिजली, सिंचाई मुफ्त मिलती है वैसे ही हम भी हकदार हैं। –संदीप गुप्ता, महात्मा गांधी मार्ग
फर्नीचर मार्केट में आरओ प्लांट लगाया जाए। ताकि कारीगरों को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सके। –पीयूष मिश्रा, अशराफटोला
एमजी मार्च पर सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए। खाली प्लॉट पर कूड़ा जमा करने से रोका जाए। –मुस्तकीम, छोटा चौराहा
सूखे पेड़ों को काटने और फर्नीचर दुकान तक लाने में आने वाली दिक्कतों का समाधान प्रशासन कराए। –अनीस अहमद, डीएम चौराहा
तख्त, दरवाजे, खिड़की जैसे फर्नीचर को पूरी तरह से जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए। –दिलशाद अहमद, डीएम चौराहा
फर्नीचर की दुनिया में हो रहे बदलाव की जानकारी देने के लिए कारीगरों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। –मो. सुहेल, मोमीनाबाद
सफाई कर्मियों को कूड़ा उठाने के लिए निर्देशित किया जाए। कई-कई दिन तक कूड़े के ढेर जमा रहते हैं। –अविनाश कपूर, बोर्डिंग हाउस
व्यापारियों को भी प्रशासन समय-समय पर वार्ता के लिए बुलाए। उनकी समस्याएं सुने। मामले हल कराए। –प्रकाश खन्ना, बोर्डिंग हाउस
क्या बोले जिम्मेदार
फर्नीचर दुकानों के आसपास सफाई व्यवस्था को दुरुस्त कराएंगे। कूड़ा नियमित रूप से उठेगा। बाजारों में रोशनी का भी पर्याप्त इन्तजाम कराएंगे। – सुखसागर मिश्र, पालिकाध्यक्ष