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Hardoi News: हरदोई में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बने घर का छज्जा गिरने से दो युवतियों की मौत

अतरौली के ग्राम सिंहपुर में हुई घटना, छज्जे के नीचे बैठकर सभी कर रहे थे बात

हरदोई। (Hardoi News) उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद में सरकारी योजना में मिला आवास ही काल बन गया। चार माह पहले ही बनकर तैयार हुए मुख्यमंत्री आवास का छज्जा गिरने से दो युवतियों की मौत हो गई। एक की तो दो दिन बाद ही शादी थी। उसी में शामिल होने के लिए रिश्तेदार आए थे, जिसमें एक महिला समेत दो लोग घायल भी हो गए, जिन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। सीओ संडीला ने मौके पर पहुंचकर जानकारी ली। (Hardoi News)

(Hardoi News) क्या है पूरा मामला

जानकारी के मुताबिक, अतरौली के ग्राम सिंहपुर की गीता को विधवा कोटे से पिछले वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री आवास मिला था। करीब चार महीने पहले आवास बनकर तैयार हुआ था। 30 अप्रैल को गीता के जेठ परशुराम की बेटी अंजनी की शादी थी। घर में शादी की तैयारियां चल रहीं थी। रिश्तेदार आने लगे थे।

दो दिन बाद थी युवती की शादी
सोमवार की सुबह गीता अपने बेटे सुभाष और भतीजी अंजनी और सीतापुर के बाजिदनगर की रहने वाली ननद की बेटी सपना के साथ अपने आवास के दरवाजे पर छज्जे के नीचे बैठकर बात कर रहीं थीं। उसी समय आठ फीट लंबा और चार फीट चौड़ा छज्जा चारों के ऊपर ढह गया। छज्जे के नीचे चारों को दबा देखकर शोर मचाते लोग मौके पर पहुंचे। मलबा हटाकर सभी को बाहर निकालकर सीएचसी ले गए।

चिकित्सक ने अंजनी को मृत घोषित कर दिया, जबकि अन्य घायलों को प्राथमिक उपचार करने के बाद मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। जहां पर सपना ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। गीता और उसके बेटे का उपचार चल रहा है। शादी से दो दिन पहले अंजनी और उसकी फुफेरी बहन की मौत से खुशियों वाले घर में कोहराम मचा गया। सीओ संडीला सत्येंद्र सिंह मौके पर पहुंचकर जांच की। पीड़ित परिवार को ढ़ाढस बंधाया।

बीडीओ बोले-हमारे कार्य क्षेत्र में नहीं
मुख्यमंत्री आवास का छज्जा गिरने से दो जानें चली गईं। जबकि दो जिंदगी मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। ऐसे में कोथावां ब्लॉक के बीडीओ रामकिशोर का कहना है कि आवास का छज्जा गिरने की घटना उनके कार्य क्षेत्र में नहीं है। पीड़ितों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तहसीलदार की है। घटना के संबंध में अगर उनके पास शिकायत आती है तो देखेंगे।

दो दिन बाद उठानी थी डोली, अर्थी उठाते कांपे पिता के हाथ
हर मां-बाप का बेटी का हाथ पीले करने का सपना होता है। परशुराम भी यह सपना वर्षों से संजोए थे। बेटी अंजनी के लायक उन्हें रिश्ता मिला। शादी की 30 तारीख फाइनल हो गई। शादी के कार्ड बंट गए थे।

हलवाई से लेकर शादी में जरूरत का दान-दहेज सब कुछ खरीद चुके थे। पता नहीं भगवान को परशुराम की खुशियां मंजूर नहीं थी। पल भर में बेटी दुनिया से अलविदा कह गई। दो दिन पहले जिस बेटी की वह डोली उठाने का इंतजार कर रहे थे, बेटी की अर्थी उठाते पिता के हाथ कांप गए। यह देखने वालों की आंखें नम थीं।

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