उत्तर प्रदेश

फतेहगढ़ जेल में बंदियों ने तैयार किया प्राकृतिक गुलाल

-बंदियों द्वारा गुलाल का आधार चावल के बहुत ही महीन पाउडर से बनाया गया है। इसमें पीला रंग हल्दी से, हरा रंग पालक से और लाल और केसरिया रंग चुकंदर से बनाया गया है।

Sudhir Kumar
लखनऊ। रंगो का त्यौहार होली 2024 के पर्व को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। हर कोई अपने ढंग से होली की तैयारी कर रहा है। लेकिन क्या आप को मालूम है कि जेल में सजा काट रहे बंदी इस होली पर क्या तैयारी कर रहे हैं। चलिए हम आप को बता रहे हैं। आगामी होली के त्यौहार के लिए फतेहगढ़ जेल में बंदियों द्वारा प्राकृतिक गुलाल बनाया जा रहा है। फतेहगढ़ जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद ने बताया कि बंदियों द्वारा गुलाल का आधार चावल के बहुत ही महीन पाउडर से बनाया गया है। इसमें पीला रंग हल्दी से, हरा रंग पालक से और लाल और केसरिया रंग चुकंदर से बनाया गया है। इसमें किसी तरह के केमिकल रंग का प्रयोग नही किया गया है।
 
प्राकृतिक गुलाल से ही होली खेलेंगे जेल के बंदी
जेलर अखिलेश कुमार ने बताया कि बंदी बड़े ही उत्साह से प्राकृतिक रंग गुलाल को बना रहे है विभिन्न रंग का पचास किलो गुलाल बनकर तैयार हो चुका है। जिसे जेल उत्पाद केंद्र से बिक्री भी की जाएगी। जेल प्रशासन की ओर से स्थानीय अधिकारियों कर्मचारियों को भी प्राकृतिक गुलाल भेंट किया जाएगा। जेल निर्मित हर्बल प्राकृतिक गुलाल से ही जेल के बंदी होली खेलेंगे। ये गुलाल चावल के आटे, चुकंदर, कच्ची हल्दी, पालक के कलर से बंदियों द्वारा निर्मित कराए गए है। जेल में गुलाल के निर्माण में उपकारापाल अवनीश कुमार, सरोज देवी, वैभव कुशवाह की अहम भूमिका रही।
मुलाकातियों में गुलाल खरीदने की मची होड़
प्राकृतिक हर्बल गुलाल की बिक्री जेल उत्पाद केंद्र पर आरंभ हो गयी है। मुलाकातियों में जेल गुलाल खरीदने की होड़ मची हुई है। जेल प्रशासन मुलाकातियों की लाइन लगवा कर गुलाल की बिक्री करवा रहा है। जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल का गुलाल 100 प्रतिशत केमिकल मुक्त है। जेल अधीक्षक ने शहरवासियों से अपील की है कि प्राकृतिक जेल निर्मित गुलाल से होली खेलें ताकि आप सभी स्वास्थ्य रहें। उन्होंने कहा कि केमिकल के हानिकारक दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं इससे एलर्जी, बुखार तक आ जाता है इसलिए केमिकलयुक्त रंगो से दूर रहें अपना और अपनी सेहत का ध्यान रखें।
भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है होली
होली, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्योहार है जो रंगों का उत्सव मनाने के लिए माना जाता है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और भारत व अन्य कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है। होली का महत्व रंगों की भरमार, खुशियों का प्रकटीकरण और बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाने में है। होली के प्रारंभिक इतिहास में विभिन्न लोक कथाओं और पुराणों की चर्चा है, जिसमें प्रमुखतः राधा-कृष्ण की प्रेम कहानियों का उल्लेख है। इस उत्सव के दौरान, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर खुशियों का प्रकटीकरण करते हैं और साथ में मिलकर मिठाई खाते हैं। होली 2024 की तिथि, 25 मार्च को है, जबकि होलिका दहन 24 मार्च को होगा। इस ब्लॉग में, होली के महत्व, इतिहास, अनुष्ठान, पूजा समय, और इसके महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी। होली का अनुष्ठान एक दिन दही-हांडी, रंगों का खेल और परिवार के संग भोजन के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा, होली की रात को होलिका दहन का अद्वितीय अनुष्ठान होता है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

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