क्राइमउत्तर प्रदेश

डी 2 गैंग के सरगना अतीक पहलवान की आगरा जेल में हार्ट अटैक से मौत

अतीक शफीक रफीक वाले बिल्लू अफजाल इन 6 भाईयो के नाम का आतंक था।

सुधीर कुमार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद से एक बड़ी खबर है। यहां आगरा जिला कारागार में निरुद्ध डी 2 गैंग के सरगना अतीक पहलवान की मौत की खबर से हड़कंप मचा हुआ है।

पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2007 में कानपुर पुलिस ने दिल्ली से दो लाख के इनामी अतीक पहलवान को गिरफ्तार किया था।

बताया जा रहा है कि डी 2 गैंग की 90 के दशक में कानपुर ही नहीं प्रदेश और देश में तूती बोलती थी।

अतीक शफीक रफीक वाले बिल्लू अफजाल इन 6 भाईयो के नाम का आतंक पूरे देश में था।

डी 2 गैंग ने 1985 से 2005 के बीच कितनी हत्याएं की यह रिकॉर्ड पुलिस के पास भी नहीं है। साल 2010 में डी 2 गैंग को इंटर स्टेट गैंग 273 में दर्ज किया गया था। रंगदारी प्रॉपर्टी विवाद किडनैपिंग हत्या, हत्या के प्रयास जैसे सैकड़ों मुकदमे गैंग के सदस्यों पर दर्ज थे। एसटीएफ के सिपाही की हत्या के बाद एसटीएफ और कानपुर पुलिस ने मिलकर गैंग का सफाया किया था।

पुलिस के मुताबिक, कानपुर में डी2 गैंग के पहले सरगना अतीक पहलवान की आगरा जेल में मौत हो गई। अतीक पहलवान ने बुधवार को जेल में अंतिम सांस ली। हार्ट अटैक से मौत हुई। आगरा पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को शव सौंप दिया। परिजन शव लेकर दिल्ली रवाना हो गए। वहां पर उसे सुपुर्द ए खाक किया गया।

जानकारी के अनुसार, नई सड़क निवासी छह भाई अतीक, शफीक, बिल्लू, बाले, अफजाल और रफीक मिलकर डी 2 गैंग चलाते थे। इस गैंग का पहला सरगना अतीक पहलवान ही था जो सबसे बड़ा था। सूत्रों के मुताबिक गिरोह पर हत्या, सुपारी किलिंग, सम्पत्तियों पर कब्जा, मारपीट, जान से मारने का प्रयास, फिरौती, अपहरण के 35 से ज्यादा अपराधिक मामले दर्ज थे। 24 मार्च 2004 में अधिवक्ता मोहम्मद नासिर की हत्या में बीती 31 जनवरी 2024 को अतीक और उसके भाई बाले को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। अतीक पहलवान आगरा जेल में बंद था और इस मामले में वीडियो कानफ्रेंसिंग के जरिए पेश हुआ था।

डीजीपी ने स्टेट गैंग में कराया था पंजीकृत

अतीक को सन 2007 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। यहां से गई पुलिस टीम में ऋषिकांत शुक्ला (वर्तमान सीओ सफीपुर, उन्नाव) को टीम के साथ भेजा गया था। तब से अतीक पहलवान जेल में बंद था और उसके भाइयों ने गैंग की कमान सम्भाल ली थी। उसे सिद्धार्थनगर जेल में ट्रांसफर किया गया था। सूत्रों के मुताबिक वहां से अतीक फर्जी वारंट कटाकर लखनऊ सुनवाई पर जाता था और एक होटल में बैठकर पंचायत लगाता था। यह सूचना तत्कालीन डीजीपी बृजलाल को मिल गई थी। जिसके बाद उन्होंने इस गैंग को सन 2010- 2011 में इंटर स्टेट गिरोह की सूची में 273 नम्बर पर पंजीकृत कराया था।

अपराधी पैदा करने वाली मशीन कहलाता था शातिर

पुलिस सूत्रों के मुताबिक अतीक पहलवान को अपराधी पैदा करने वाली मशीन कहा जाता था। नई उम्र के लड़कों को अपने भौकाल में लेकर वह उन्हें जरायम के रास्ते पर ले जाता था। उनसे सुपारी किलिंग कराता था वसूली के लिए भी भेज देता था। दिल्ली से लेकर कोलकाता तक अतीक का नेटवर्क फैला हुआ था। उसने दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, जयपुर में छिपने के ठिकाने बना रखे थे। उसे धंधे में फाइनेंसर के तौर पर बेंगलुरु का एक तम्बाकू कारोबारी शामिल था जो उसके हर धंधे में फंडिंग करता था। अतीक पहलवान जेल में बैठकर नए अपराधी तैयार कर देता था।

सिपाही धर्मेन्द्र और चाइनीज पिस्टल से और बड़ा हो गया नाम

सन 2004 में हीर पैलेस के सामने माल रोड पर एसटीएफ के सिपाही धर्मेन्द्र की हत्या की दी गई थी। उसमें भी अतीक और उसके भाई रफीक आदि नामजद हुए थे। तब अतीक का जरायम की दुनियां में नाम और बढ़ा हो गया और वसूली भी बढ़ गई थी। 2005-2006 में पुलिस टीम ने इसे 560 चाइनीज पिस्टलों संग गिरफ्तार किया था। जब जांच की गई तो पुलिस के होश भी उड़ गए थे। पिस्टल पाकिस्तान के रास्ते मुंबई से होते हुए शातिर के पास कानपुर पहुंची थी। उस दौरान इसके लिंक में मुंबई अंडरवर्ल्ड के भी कुछ शातिरों के बारे में पुलिस को जानकारी मिली थी।

80 के दशक में शुरू हुआ गैंग अब सिर्फ दो भाई बचे

डी 2 गैंग ने 80 के दशक में जरायम की दुनिया में कदम रखा था। अतीक की आगरा जेल में, शफीक की भी बीमारी से गोवा में मौत हो चुकी है। बिल्लू को तत्कालीन एसओजी प्रभारी ऋषिकांत शुक्ला ने टीम के साथ गोविंद नगर में एनकाउंटर कर मार गिराया था। अफजाल को भी तत्कालीन एसओजी प्रभारी ऋषिकांत और उनकी टीम ने एनकाउंटर में मार दिया था। अब गिरोह में बाले और अफजाल रह गए हैं। जो जेल में बंद है।

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