उत्तर प्रदेशलखनऊ

सपा छोड़ भाजपा में आए पूर्व विधायक छोटेलाल यादव का निधन

छोटेलाल यादव को मुलायम सिंह यादव के करीबियों में गिना जाता था।

बाराबंकी। समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़कर हल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व राज्य मंत्री छोटेलाल यादव का राजधानी लखनऊ के एक निजी हॉस्पिटल में चल रहे इलाज के दौरान बुधवार को निधन हो गया है। उनके निधन की खबर आते ही प्रदेश की राजनीतिक गलियारों एवं क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। आवास पर उनके समर्थकों का जमावड़ा लगना शुरू हो चुका हो गया है। बुधवार शाम को ही छोटेलाल यादव का पैतृक आवास बेल्हा में उनका अंतिम संस्कार होगा। छोटेलाल यादव को मुलायम सिंह यादव के करीबियों में गिना जाता था। वह बीते फरवरी में सपा में लंबी सियासी पारी खेलने के बाद भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।

कई दिनों से चल रहे थे बीमार भाजपा नेता छोटेलाल यादव बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे। बाराबंकी आवास पर ही उनका इलाज चल रहा था, लेकिन अचानक तबीयत और गंभीर होने पर पूर्व विधायक यादव को लखनऊ के सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह बीते छह दिनों से यहां भर्ती थे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और बुधवार को लखनऊ के सहारा अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली है। पूर्व दर्जा प्राप्त मंत्री छोटेलाल यादव की निधन की खबर मिलते ही बाराबंकी सहित प्रदेश के राजनीतिक में शोक की लहर दौड़ पड़ी। निधन की खबर मिलते ही उनके आवास पर समर्थकों का और जिले में पार्टी के नेताओं का आने का तांत लगा गया है। छोटेलाल यादव की सपा में उन नेताओं में गिनती की जाती थी, जो पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेदह करीबी थे हाल ही में सपा की नीतियों से नाराज होकर उन्हें पार्टी से अपना नाता तोड़ते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे और इस दौरान उन्हें अखिलेश की नेतृत्व वाली सपा गंभीर आरोप भी मढे थे।

नवाबगंज से थे कई बार के विधायक भाजपा नेता छोटेलाल यादव सपा से बाराबंकी जिले के नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक चुने गए। वह तीन बार यहां से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे। सपा उन्हें दर्जा प्राप्त मंत्री भी बनाया। उन्होंने हमेशा अपने मूल्यों पर राजनीतिक की। साल 1989, 1998 और 2002 में वह नवाबगंज विधानसभा सीट से विधायक बने। 2002 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में संग्राम सिंह वर्मा को 27 वोट से हराकर अपनी धमक दिखाई, लेकिन साल 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा।

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