उत्तर प्रदेशलखनऊ

कोशिश करें की गोरैया पहले की तरह फुदकती नजर आए: बेगम नसीमा रज़ा 

-गौरैया बचाओ तहरीक चलाना बेहद जरूरी ताकि आने वाले दिनों में इसकी नस्लें बचाई जा सके...

Sudhir Kumar

लखनऊ। गौरैया को बचाने की तहरीक चलाना बेहद जरूरी है और यह काम बेदारी मुहीम के ज़रिए ही मुमकिन है। यह बातें नवाबी घराने सल्तनत मंजिल, हामिद रोड, सिटी स्टेशन, लखनऊ की बेगम नसीमा रज़ा ने कही। उन्होंने आगे कहा की सिर्फ “विश्व गौरैया दिवस” मना कर खुश होने से काम नही चलेगा बल्कि पब्लिक प्लेस पर भी दाना पानी डाल कर अवामी बेदारी मुहीम चलाकर गौरैया को बचाया जा सकता है। घरों में आम तौर से देखी जाने वाली ची..ची.. करती इस चिड़िया को भारत में गौरैया के नाम से जाना जाता है। इससे पहले की इसकी नस्ल खत्म हो जाए हमलोग को गौरैया बचाओ तहरीक के कार्य को आगे बढ़ना होगा।

गौरैया अब हमारे घरों में पहले की तरह फुदकती नजर आए, हमें इसकी घर वापसी के लिए हर मुमकिन कोशिश करनी होगी। बेगम नसीमा रज़ा और उनके पति नवाबजादा सैयद मासूम रज़ा, एडवोकेट चाहते हैं की लोग अपने अपने घर के आस पास हरियाली लगाएं और बच्चे – जवान सभी दाना पानी दें ताकि आने वाली नस्लें भी इस बेजुबान चिड़िया की कदर करे और मोहब्बत को समझें और कोशिश करें की इसकी नस्ल बचाई जा सके और अपने अपने घरों में इसे लौटायी जा सके और ची ची करती घर में, रोशनदान व आंगन में लौट आए। अगर हम अब भी बेदार नहीं हुए तो आने वाले दिनों में गौरैया की चहक खत्म हो जाएगी। भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी डाक टिकट वा फर्स्ट डे कवर के ज़रिए मेरी बिटिया इंजीनियर हया फातिमा लोगों तक यह पैग़ाम देना चाहती हैं की भारत में खत्म होते हुए चिड़िया को बचाने में अपना पूरा सहयोग दें।

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